The Single Best Strategy To Use For hindi kahani
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बरसात का दिन था। एक बिच्छू नाले में तेजी से बेहता जा रहा था।संत ने बिच्छू को नाली में बहता देख।
बड़े-बड़े शहरों के इक्के-गाड़ीवालों की ज़बान के कोड़ों से जिनकी पीठ छिल गई है, और कान पक गए हैं, उनसे हमारी प्रार्थना है कि अमृतसर के बंबूकार्ट वालों की बोली का मरहम लगावें। जब बड़े-बड़े शहरों की चौड़ी सड़कों पर घोड़े की पीठ चाबुक़ से धुनते हुए, इक्के वाले कभी चंद्रधर शर्मा गुलेरी
रितेश उदास हो गया रो-रोकर आंखें लाल हो गई। रितेश अब पार्क में बैठ कर रोने लगा। कुछ देर बाद वह देखता है कि उसके तीनों खरगोश घास खा रहे थे , और खेल रहे थे। रितेश को खुशी हुई और वह समझ गया कि इन को भूख लगी थी इसलिए यह पार्क में आए हैं। मुझे भूख लगती है तो मैं मां से खाना मांग लेता हूं। पर इनकी तो मैं भी नहीं है। उसे दुख भी हुआ और खरगोश को मिलने की खुशी हुई।
कौन हैं निर्दलीय उम्मीदवार रवींद्र सिंह भाटी जिनकी रैली की भीड़ देखकर लोग हो रहे हैं हैरान
समष्टि में इनके अर्थ हैं कि तू जीने योग्य है, तू भाग्योंवाली है, पुत्रों को प्यारी है, लंबी उमर तेरे सामने है, तू क्यों मेरे पहिए के नीचे आना चाहती है, बच जा."
श्याम अपने घर मार्कशीट लेकर गया जिस पर उसके माता-पिता ने देखा और बहुत उदास हुए। उन्हें उदासी हुई कि एक मेरा बेटा इतना अच्छा पढ़ने में है और दूसरा इतना नालायक। श्याम किसी भी विषय में पास नहीं हो पाया।श्याम के माता -पिता को बहुत दुखी हुई उन्होंने किसी से कुछ नहीं कहा मगर अंदर ही अंदर वह बहुत दुखी होते रहे।
कहानी के जोबन का उभार और बोल-चाल की दुलहिन का सिंगार किसी देश में किसी राजा के घर एक बेटा था। उसे उसके माँ-बाप और सब घर के लोग कुँवर उदैभान करके पुकारते थे। सचमुच उसके जीवन की जोत में सूरज की एक सोत आ मिली थी। उसका अच्छापन और भला लगना कुछ ऐसा न था जो इंशा अल्ला ख़ाँ
इसके बाद गुरु ने उसे योग विद्या सिखाई जिससे वह अपनी सांसे रोक कर मुरदे जैसी अवस्था में घंटो तक रह सकता था। यह सब सिखाने के बाद गुरु ने उसे एक योजना बताई और उसे घर भेज दिया।
मोरल – संसार में मां की ममता का कोई जोड़ नहीं है अपनी जान विपत्ति में डालकर भी अपने बच्चों के हित में कार्य करती है।
वह भी अलग अलग नैतिक मूल्यों पर आधारित जो पढ़ने वाले व्यक्ति को जरूर ही कुछ न कुछ फायदा पहुचाएंगे
और आश्वासन देते हैं कि आपको राज दरबार में यह पत्ता दिखाने पर दो गांव मिल जाएगा। वह व्यक्ति अपने घर गया और उसने उस पत्ते को एक जगह टांग दिया। उस व्यक्ति के यहां तीन बकरियां थी जिन्होंने उस पत्ते को चर लिया अर्थात खा गए। जब उस व्यक्ति को मालूम हुआ कि वह पत्ता बकरी खा गई, उसकी समझ में कुछ नहीं आया।
मुझे प्रेरणादायक कहानियां पढ़ना ज्यादा अच्छा लगता है परंतु यह कहानियां भी सही लिखी है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
गांव के लोग भी बिना डरे उस वृक्ष के नीचे जाने लगे।